Ticker

6/recent/ticker-posts

*भारत के ब्राह्मण जाति के पुरूष युरोपियन - डिएनए संशोधन*




ब्राह्मण विदेशी है, इसका वर्णन भारत एवं विदेशी अनेकों इतिहासकारों ने किया है। ब्राह्मणो को विदेशी बताने वाले इतिहासकारों में कई ब्राह्मण भी है।

1. ऋग्वेद में श्लोक 10 में लिखा है कि हम (वैदिक ब्राह्मण ) उत्तर ध्रुव से आये हुए लोग है। जब आर्य व् अनार्यो का युद्ध हुआ ।

2. The Arctic Home At The Vedas बालगंगाधर तिलक (ब्राह्मण) के द्वारा लिखी पुस्तक में मानते है कि हम बाहर आए हुए लोग है ।

3. जवाहर लाल नेहरु ने (बाबर के वंशज फिर कश्मीरी पंडित बने) उनकी किताब Discovery of India में लिखा है कि हम मध्य एशिया से आये हुए लोग है। यह बात कभी भूलना नही चाहिए। ऐसे 30 पत्र इंदिरा जी को लिखे जब वो होस्टल में पढ़ रही थी।

4.वोल्गा टू गंगा में 'राहुल सांस्कृतयान' (केदारनाथ के पाण्डेय ब्राहम्ण) ने लिखा है कि हम बाहर से आये हुए लोग है और यह भी बताया की वोल्गा से गंगा तट (भारत) कैसे आए।

5. विनायक सावरकर ने (ब्राम्हण) सहा सोनरी पाने “इस मराठी किताब में लिखा की हम भारत के बाहर से आये लोग है।

6. इक़बाल “काश्मीरी पंडित ” ने भी जिसने “सारे जहा से अच्छा” गीत लिखा था कि हम बाहर से आए हुए लोग है।

7. राजा राम मोहन राय ने इग्लेंड में जाकर अपने भाषणों में बोला था कि आज मै मेरी पितृ भूमि यानि अपने घर वापस आया हूँ।

8. मोहन दास करम चन्द गांधी (वेश्य) ने 1894 में दक्षिणी अफ्रीका के विधान सभा में लिखे एक पत्र के अनुसार हम भारतीय होने के साथ साथ युरोशियन है हमारी नस्ल एक ही है इसलिए अग्रेज शासक से अच्छे बर्ताव की अपेक्षा रखते है।

9. ब्रह्म समाज के नेता सुब चन्द्र सेन ने 1877 में कलकत्ता की एक सभा में कहा था कि अंग्रेजो के आने से हम सदियों से बिछड़े चचेरे भाइयों का (आर्य ब्रह्मण और अंग्रेज ) पुनर्मिलन हुआ है।

10. राष्ट्रपिता ज्योतिराव फुले ने ब्राह्मणो को मध्य एशिया के ईरानी कहा है ।

11. स्वामी दयानन्द सरस्वती तथा प्रो.मेक्समूलर आदि सभी विद्वान इतिहासकारों का एक ही मत है,कि आर्यों ने भारत में वोल्गा नदी,मध्यऐशिया, ईरान से भारत में प्रवेश किया है।

इस संदर्भ में उटाह विश्वविद्यालय, वाशिंगटन (अमेरिका) के प्रो. माईकल बामशाद ने आन्ध्रा विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय तथा केन्द्र सरकार के एन्थ्रोपालीजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के सहयोग से भारत के ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य के डी.एन.ए. गुणसूत्र का परीक्षण किया। 
डी.एन.ए. टेस्ट रिपोर्ट:- मानव शरीर में प्रोटिन एक महत्वपूर्ण पदार्थ होता है।
इसके दो रुप है-
1) आर.एन.ए.(राईबोज न्यूक्लिन एसिड)
तथा 
2)डी.एन.ए(डीआँक्सीरायवोंज न्यूक्लिक एसिड) 
डी.एन.ए.अनुवांशिक विन्यास का निर्माण करता है।
डी.एन.ए. पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानान्तरित होता है लेकिन इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं होता है। डी.एन.ए. पुरुषों में होता है और स्त्रियों में माइक्रोंकोन्ड्रीयल डिएनए होता है,जो महिला से महिला में पीढ़ी दर पीढ़ी स्थान्तरित होता है। 

मायकल बामशाद ने परीक्षण में पाया कि,भारत के ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य के डी.एन.ए. गुणसूत्रों तथा युरेशिया के गोरे लोगो के गुणसूत्रों में औसतन 99.87 प्रतिशत समानता है। इस तरह विज्ञान ने भी साबित कर दिया है कि भारत के ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्य विदेशी लोग है। 

इस संशोधन से कुछ निष्कर्ष सामने आए-

1) भारत के ओबीसी,एससी, एसटी, मॉयनॉरिटीज् और धर्म परिवर्तित मुस्लिम, शिख, जैन,बौद्ध,लिंगायत सभी का DNA गुणसूत्र आपस में मिलता है। *निष्कर्ष— ये सभी भारत के मुलनिवासी है।*

2) ब्राह्मणों का DNA गुणसूत्र और भारत के विविध जाती धर्मो के लोगो का DNA गुणसूत्र आपस में मेल नहीं खाता। *निष्कर्ष— ब्राह्मण मुलनिवासी नहीं है।*

3) ब्राह्मणों का DNA गुणसूत्र और यूरेशिया काला सागर प्रांत के विदेशी गोरे लोगों का DNA गुणसूत्र एक ही है। *निष्कर्ष—ब्राह्मण विदेशी है।*

4) ब्राम्हण महिलाओं का DNA गुणसूत्र और भारत के विविध जाती धर्मो के महिलाओं का DNA गुणसूत्र एक ही है। *निष्कर्ष— ब्राह्मणो की महिलाएं मुलनिवासी है।*

यह डी.एन.ए. टेस्ट रिपोर्ट 
21मई 2001 के अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स आफ इंडिया’ में प्रकाशित हुई।

 इस तरह से DNAअनुसंधान से भी साबित हुआ की, ब्राम्हण विदेशी है।  ब्राह्मण भी अंग्रेजों के जैसे ही विदेश से भारत में भारतीयों को गुलाम बनाने आए है। अंग्रेजो को तो हमने वापस भगा दिया, अब ब्राह्मणों की बारी है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक कानुन पारित किया है की, किसी भी देश पर उसी देश के मुलनिवासीयों की सत्ता होनी चाहिए, और किसी भी देश पर बहर से आए विदेशी सत्ता स्थापित नही कर सकते।
 संयुक्त राष्ट्र संघ का भारत देश सदस्य देश है, इसिलिए यह कानुन भारत देश पर भी लागू होता है। इस कानुन के तहत भारत का ब्राह्मण सत्ता में सहभागी नही हो सकता क्योंकि भारत का ब्राह्मण भारत का नही है,बल्कि विदेशी हैं। जिस दिन भारत के 5 करोड भारतीय मिशन से जुड़ जाएंगे, उस दिन भारत के लोग विदेशीयों की गुलामी से आजाद हो जाएंगे।


Post a Comment

0 Comments